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धर्म श्लोक

भर्तृहरि नीतिशतक के सर्वश्रेष्ठ संस्कृत श्लोक

भर्तृहरि नीतिशतक पर संस्कृत श्लोक

दिक्कालाद्यनवविच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये। स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे।। 1। दिशा (पूर्वपश्चिमादि) और काल (वर्तमान, भूत, भविष्यादि) से अनवच्छिन्न अर्थात् परमित न किये गये, अनन्त, चैतन्यस्वरूप, स्वानचभूत्यैकगम्य ज्योतिः स्वरूप… Read More »भर्तृहरि नीतिशतक पर संस्कृत श्लोक

धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में तर्कविहीनो वैद्यः लक्षण हीनश्च पण्डितो लोके ।भावविहीनो धर्मो नूनं हस्यन्ते त्रीण्यपि ॥ तर्कविहीन वैद्य, लक्षणविहीन पंडित, और भावरहित धर्म… Read More »धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में