Sanskrit Shlok .com ---------यतो धर्मः ततो जयः ----- "जहाँ धर्म है वहाँ जय है।" -------महाभारत
संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:।यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।।अर्थ — एक विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि वह फल...
प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक अर्थ सहित — Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning संस्कृत भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषा है और संस्कृत भाषा का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा...
bhagwan shlok sanskrit shlok फिर भी भगवान शंकर को भिक्षा के लिए भटकना पडता है ! सचमुच, ईश्वर की ईच्छा हि बलवान है: स्वयं महेशः श्वशुरो नगेशःसखा धनेश स्तनयो गणेशः ।तथापि भिक्षाटनमेव शम्भोःबलीयसी केवलमीश्वरेच्छा...
भगवान श्लोक in hindi-god slokas in hindi ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति । भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारुढानि मायया ॥ हे अर्जुन ! ईश्वर सब प्राणियों के ह्रदय में विराजमान है । शरीररुप यंत्र पर आरुढ हुए सब...
Gyan shlok top sanskrit shlok संसारसागर में जन्म का, बूढापे का, और मृत्यु का दुःख बार आता है, इस लिए (हे मानव !), “जाग, जाग न जातु कामः कामानुपभोगेन शाम्यति । हविषा कृष्णवत्मैर्व भुय...
Gyan shlok in hindi ज्ञान पर संस्कृत श्लोक part4 यत्ते अग्ने तेजस्तेनाहं तेजस्वी भूयासम् । यत्ते अग्ने वर्चस्तेनाहं वर्चस्वी भूयासम् । यत्ते अग्ने हरस्तेनाहं हरस्वी भूयासम् । हे अग्नि ! तुम्हारे तेज से मुज़े...
Gyan shlok in hindi ज्ञान पर संस्कृत श्लोक part3 तेनाधीतं श्रुतं तेन सर्वमनुष्ठितम् । येनाशाः पृष्ठतः कृत्वा नैराश्यमवलंबितम् ॥ जिसने आशा को पीछे छोड दिया है और निष्कामता का अवलंबन किया है, वही सब...
Gyan shlok in hindi ज्ञान पर संस्कृत श्लोक इहलोके सुखं हित्वा ये तपस्यन्ति दुर्धियः । हित्वा हस्तगतं ग्रासं ते लिहन्ति पदाङ्गुलिम् ॥ इहलोक के (पृथ्वी के) सुखों का त्याग करके जो मूढ लोग तप...
ज्ञान पर संस्कृत श्लोक Gyan shlok in hindi अल्पाक्षरमसंदिग्धं सारवद्विश्वतो मुखम् । अस्तोभमनवद्यं च सूत्रं सूत्रविदो विदुः ॥ अल्पाक्षरता, असंदिग्धता, साररुप, सामान्य सिद्धांत, निरर्थक शब्द का अभाव, और दोषरहितत्व – ये छे ‘सूत्र’ के...
गुरु श्लोक Top sanskrit shlok on guru in hindi: नीचः श्लाद्यपदं प्राप्य स्वामिनं हन्तुमिच्छति । मूषको व्याघ्रतां प्राप्य मुनिं हन्तुं गतो यथा ॥ उच्च स्थान प्राप्त करते ही, अपने स्वामी को मारने की इच्छा...
गुरु पर संस्कृत श्लोक हिंदी में part2: पूर्णे तटाके तृषितः सदैव भूतेऽपि गेहे क्षुधितः स मूढः । कल्पद्रुमे सत्यपि वै दरिद्रः गुर्वादियोगेऽपि हि यः प्रमादी ॥ जो इन्सान गुरु मिलने के बावजुद प्रमादी रहे,...
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