भर्तृहरि नीतिशतक पर संस्कृत श्लोक
दिक्कालाद्यनवविच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये। स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे।। 1। दिशा (पूर्वपश्चिमादि) और काल (वर्तमान, भूत, भविष्यादि) से अनवच्छिन्न अर्थात् परमित न किये गये, अनन्त, चैतन्यस्वरूप, स्वानचभूत्यैकगम्य ज्योतिः स्वरूप… Read More »भर्तृहरि नीतिशतक पर संस्कृत श्लोक