रोज उठकर यह जान लेना चाहिए sanskrit shlok in hindi
यौवनं जीवितं चित्तं छाया लक्ष्मीश्च स्वामिता ।
चञ्चलानि षडेतानि ज्ञात्वा धर्मरतो भवेत् ॥
यौवन, जीवन, चित्त, छाया, लक्ष्मी और सत्ता – ये छे चंचल है, ऐसा समजकर धर्मरत रहेना चाहिए ।
अस्थिरं जीवितं लोके ह्यस्थिरे धनयौवने ।
अस्थिराः पुत्रदाराश्च धर्मः कीर्ति र्द्वयं स्थिरम् ॥
इस जगत में धन, जीवन, यौवन अस्थिर हैं; पुत्र और स्त्री भी अस्थिर हैं । केवल धर्म और कीर्ति (ये दो हि) स्थिर है ।
उत्थायोत्थाय बोद्धव्यं किमद्य सुकृतं कृतम् ।
आयुषः खण्डमादाय रविरस्तं गमिष्यति ॥
रोज उठकर “आज क्या सुकृत्य किया” यह जान लेना चाहिए, क्यों कि सूर्य (हररोज) आयुष्य का छोटा तुकडा लेकर अस्त होता है ।
Sanskrit shlok in hindi –
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अजरामरवत्प्राज्ञो विद्यामर्थं च चिन्तयेत् ।
गृहीत इव केशेषु मृत्युना धर्ममाचरेत् ॥
बूढापा और मृत्यु नहीं आयेंगे ऐसा समजकर विद्या और धन का चिंतन करना चाहिए । पर मृत्यु ने हमें बाल से जकड रखा है, ऐसा समजकर धर्म का आचरण करना चाहिए ।
जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम् ।
मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः ॥
धर्महीन मनुष्य को जिंदा होने के बावजुद मैं मृत समजता हूँ । धर्मयुक्त इन्सान मर कर भी दीर्घायु रहेता है उस में संदेह नहीं ।
see also: दुर्जन पर संस्कृत श्लोक हिंदी में Part4
The Timeless Beauty of Sanskrit: History, Significance, and Influence