बुद्धिमान पर संस्कृत श्लोक हिंदी में
- गन्धः सुवर्णे फलमिक्षुदण्डे
- नाकारि पुष्पं खलु चन्दनेषु ।
- विद्वान् धनाढ्यो न तु दीर्घजीवी
- धातुः पुरा कोऽपि न बुद्धिदोऽभूत ॥
सोने में सुगंध, गन्ने को फल और चन्दन वृक्ष को फूल होते नहीं है । वैसे ही, विद्वान कभी धनवान और दीर्घजीवी नहीं होता है । इस विषय में ब्रह्मदेव को दिमाग देनेवाला पूर्व कभी मिला नहीं है ।
- विद्वानेवोपदेष्टव्यो नाविद्वांस्तु कदाचन ।
- वानरानुपदिश्याथ स्थानभ्रष्टा ययुः खगाः ॥
विद्वान (समजदार) को ही उपदेश करना चाहिए, नहीं कि अविद्वान को । (ध्यान में रहे कि) बंदरो को उपदेश करके पंछी स्थानभ्रष्ट हो गये ।
- स्थानभ्रष्टा न शोभन्ते दन्ताः केशा नखा नराः ।
- इति संचिन्त्य मतिमान्न स्वस्थानं न परित्यजेत्
- बुद्धिमान पर संस्कृत श्लोक हिंदी में
दांत, बाल, नाखुन और इन्सान, ये चार स्थानभ्रष्ट होने पर अच्छे नहीं लगते । यह समजकर, बुद्धिमान मनुष्य ने अपना (उचित) स्थान छोडना नहीं ।
- यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् ।
- लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ॥
जिसे स्वयं की प्रज्ञा (तेज बुद्धि) नहीं उसे शास्त्र किस काम का ? अंधे मनुष्य को दर्पण किस काम का ?
बुद्धिमान पर संस्कृत श्लोक हिंदी में
- को देशः कानि मित्राणि-कःकालःकौ व्ययागमौ ।
- कश्चाहं का च मे शक्ति-रितिचिन्त्यं मुहुर्मुहु ॥
(मेरा) देश कौन-सा, (मेरे) मित्र कौन, काल कौन-सा, आवक-खर्च कितना, मैं कौन, मेरी शक्ति कितनी, ये समजदार इन्सान ने हर घडी (बार) सोचना चाहिए ।
- बुद्धिर्यस्य बलं तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम् ।
- पश्य सिंहो मदोन्मत्तः शशकेन निपातितः ॥
जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है । पर जिसके पास बुद्धि नहीं उसके पास बल कहाँ ? देखो, बलवान शेर को (चतुर) लोमडी ने कैसे मार डाला (था) !
- अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च ।
- वञ्चनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ॥
- दान पर संस्कृत श्लोक Part5 Sanskrit Shlok in Hindi on daan
संपत्ति की हानि, मन का संताप, घर के दूषण और अपमानजनक वचन, इन बातों को बुद्धिमान प्रकाश में नहीं लाता ।
- चलत्येकेन पादेन तिष्ठत्यन्येन पण्डितः ।
- नापरीक्ष्य परं स्थानं पूर्वमायतनं त्यजेत् ॥
बुद्धिमान मनुष्य एक पैर से चलता है और दूसरे पैर से खडा रहता है (आधार लेता है) । अर्थात् दूसरा स्थान जाने और पाये बगैर पूर्वस्थान छोडना नहीं ।