दुर्गा जी की आरती – अंबे गौरी आरती माँ दुर्गा की प्रमुख आरतियों में से एक है, जिसे विशेष रूप से नवरात्रि के समय या माँ दुर्गा की पूजा के दौरान गाया जाता है। यह आरती माँ दुर्गा के अष्टभुजा रूप की स्तुति और आराधना करती है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। आइए जानते हैं अंबे गौरी की आरती और इसके महत्त्व के बारे में।
अंबे जी की आरती (दुर्गा जी की आरती)
॥ आरती श्री अम्बा जी ॥
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती,जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
Mata Rani Aarti Lyrics: अम्बे तू है जगदम्बे काली
अंबे गौरी आरती का महत्त्व
अंबे गौरी की आरती माँ दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने का एक सशक्त माध्यम है। इसे गाने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और माँ की कृपा से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा आती है।
विशेष रूप से नवरात्रि के समय, यह आरती अत्यधिक फलदायी मानी जाती है, जब माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। माँ के आराधकों के लिए यह आरती उनके जीवन की हर कठिनाई को हरने वाली और सफलता प्रदान करने वाली होती है। माता रानी की स्पेशल आरती / Nonstop Mata Rani Ki Aarti /Navratri.
Must Know About This Arti
1. अंबे गौरी की आरती कब गाई जाती है?
अंबे गौरी की आरती विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में, माँ दुर्गा की पूजा के समय गाई जाती है। इसे रोज सुबह और शाम भी गाया जा सकता है।
2. अंबे गौरी की आरती गाने से क्या लाभ होते हैं?
इस आरती को गाने से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि, और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। जीवन की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
3. क्या अंबे गौरी की आरती किसी विशेष स्थान पर गानी चाहिए?
अंबे गौरी की आरती मंदिरों में, घरों में, या जहाँ माँ दुर्गा की पूजा की जाती है, वहाँ गाई जा सकती है। शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर यह आरती करना अधिक लाभकारी होता है। दुर्गा चालीसा कब पढ़ना चाहिए? – महत्त्व, समय, और लाभ
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