जीवन पर संस्कृत श्लोक
1. जीवितं क्षणविनाशिशाश्वतं किमपि नात्र।अर्थ: यह क्षणभुंगर जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है। 2. अविश्रामं वहेत् भारं शीतोष्णं च न विन्दति ।ससन्तोष स्तथा नित्यं… Read More »जीवन पर संस्कृत श्लोक
1. जीवितं क्षणविनाशिशाश्वतं किमपि नात्र।अर्थ: यह क्षणभुंगर जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है। 2. अविश्रामं वहेत् भारं शीतोष्णं च न विन्दति ।ससन्तोष स्तथा नित्यं… Read More »जीवन पर संस्कृत श्लोक