परिचय
भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में 12 ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठों का विशेष स्थान है। जहां ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अद्वितीय और शक्तिशाली स्वरूप का प्रतीक हैं, वहीं शक्तिपीठ देवी शक्ति की अद्भुत शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये धार्मिक स्थल सदियों से आस्था, भक्ति और श्रद्धा के केंद्र बने हुए हैं।
ज्योतिर्लिंग क्या है?
ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के दिव्य लिंग स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी पूजा शिव के भक्तों द्वारा की जाती है। भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की अपनी अनूठी कथा और महत्व है। Know Also:What is Ayurveda? An Ancient Science
12 ज्योतिर्लिंगों की सूची:
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – गुजरात
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – आंध्र प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – मध्य प्रदेश
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तराखंड
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तर प्रदेश
- त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – झारखंड
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – गुजरात
- रामेश्वर ज्योतिर्लिंग – तमिलनाडु
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात): इसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। सोमनाथ मंदिर का वर्णन पुराणों में भी मिलता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश): यह भगवान शिव और माता पार्वती का संयुक्त रूप है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन, मध्य प्रदेश): उज्जैन का यह मंदिर भगवान शिव के रुद्र रूप को समर्पित है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश): यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड): इसे रावण द्वारा पूजित ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र): यह सह्याद्रि पर्वत में स्थित है और भगवान शिव के भयंकर रूप को दर्शाता है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (वाराणसी, उत्तर प्रदेश): यह मंदिर काशी नगरी में स्थित है और इसे मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र): यह मंदिर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड): हिमालय की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात): यह द्वारका के समीप स्थित है।
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु): इसे भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया माना जाता है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र): यह अंतिम ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
शक्तिपीठ क्या है?
शक्तिपीठ देवी सती के शरीर के अंगों के गिरने वाले स्थानों को कहा जाता है, जिनकी पूजा देवी के रूप में की जाती है। भारत और पड़ोसी देशों में कुल 12 ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठ स्थित हैं। 51 शक्तिपीठ पर देवी शक्ति की आराधना की जाती है और इनकी महत्ता अपार है।
51 शक्तिपीठों की सूची:
- कामाख्या / कामरूप-कामाख्या मंदिर (असम) – माता सती का योनि अंग यहाँ गिरा था।
- अवंतिका / महाकाली देवी (उज्जैन, मध्य प्रदेश) – माता का ऊपरी होंठ गिरा था।
- ललिता / अलोपी माता (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश) – माता की उंगली यहाँ गिरी थी।
- विशालाक्षी / मणिकर्णिका (काशी, उत्तर प्रदेश) – माता के कुंडल यहाँ गिरे थे।
- भवानीपुर / अपर्णा (बांग्लादेश) – माता का बायां पायल यहाँ गिरा था।
- बहुला देवी मंदिर (पश्चिम बंगाल) – माता का बायां हाथ यहाँ गिरा था।
- चंद्रनाथ मंदिर (चिटगाँव, बांग्लादेश) – माता का दायां हाथ यहाँ गिरा था।
- त्रिस्रोत्रा / ब्रह्मरी माता (बंगाल) – माता का बायां पैर यहाँ गिरा था।
- जनस्थान / ब्रह्मरी माता (नासिक, महाराष्ट्र) – माता की ठोड़ी यहाँ गिरी थी।
- प्रभास – चंद्रभागा (सोमनाथ, गुजरात) – माता का पेट यहाँ गिरा था।
- चिंतपूर्णी मंदिर / छिन्नमस्तिका (हिमाचल प्रदेश) – माता के चरण यहाँ गिरे थे।
- माणसा देवी / दक्षायनी (तिब्बत) – माता का दायां हाथ यहाँ गिरा था।
- गंडकी चंडी – मुक्तिनाथ मंदिर (नेपाल) – माता का माथा यहाँ गिरा था।
- मणिबंध / गायत्री देवी (राजस्थान) – माता की कलाई यहाँ गिरी थी।
- इन्द्रक्षी / नागपुष्पणी (त्रिनकोमाली, श्रीलंका) – माता का कड़ा यहाँ गिरा था।
- यशोरे / यशोरेश्वरी (बांग्लादेश) – माता का दायां हाथ यहाँ गिरा था।
- बैद्यनाथ धाम (झारखंड) – माता का हृदय यहाँ गिरा था।
- ब्रजेश्वरी देवी (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश) – माता के कान यहाँ गिरे थे।
- जयन्ती (मेघालय) – माता की बाईं जांघ यहाँ गिरी थी।
- क्षीरग्राम / युगंध्या (पश्चिम बंगाल) – माता का दायां पैर यहाँ गिरा था।
- कलामाधव / देवी काली (अमरकंटक, मध्य प्रदेश) – माता का बायां कूल्हा यहाँ गिरा था।
- कालीघाट / कालीका (कोलकाता, पश्चिम बंगाल) – माता की दाहिनी उंगली यहाँ गिरी थी।
- कंकालेश्वरी / देवगृह (पश्चिम बंगाल) – माता का कंकाल यहाँ गिरा था।
- विभाश / कपलिनी (मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल) – माता की बाईं एड़ी यहाँ गिरी थी।
- हिंगलाज देवी (पाकिस्तान) – माता का सिर यहाँ गिरा था।
- रत्नावली / कुमारी देवी (हुगली, पश्चिम बंगाल) – माता का कंधा यहाँ गिरा था।
- श्रीशैल / महालक्ष्मी (बांग्लादेश) – माता का गला यहाँ गिरा था।
- अमरनाथ / महामाया (कश्मीर) – माता की गर्दन यहाँ गिरी थी।
- महाशिरा / गुह्येश्वरी (नेपाल) – माता के दोनों घुटने यहाँ गिरे थे।
- बकरेश्वर (बंगाल) – माता की भौहें यहाँ गिरी थीं।
- शिवहरकराय / महिषमर्दिनी (कराची, पाकिस्तान) – माता की आँखें यहाँ गिरी थीं।
- उजानी / मंगल चंडी (बंगाल) – माता की दाईं कलाई यहाँ गिरी थी।
- नंदिकेश्वरी / नंदीपुर (बंगाल) – माता का हार यहाँ गिरा था।
- सचिंद्रम / नारायणी (तमिलनाडु) – माता का दाँत यहाँ गिरा था।
- अट्टहास / फूल्लरा (बंगाल) – माता का निचला होंठ यहाँ गिरा था।
- रकिनी / गोदावरी तीर (आंध्र प्रदेश) – माता का गाल यहाँ गिरा था।
- कन्याश्रम / सर्वानी (कन्याकुमारी, तमिलनाडु) – माता की पीठ यहाँ गिरी थी।
- सावित्री / देविकूप मंदिर (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) – माता की एड़ी यहाँ गिरी थी।
- रामगिरी / शिवानी (चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) – माता का दाहिना स्तन यहाँ गिरा था।
- श्री पर्वत / श्रीसुंदरी (लद्दाख) – माता का पैर यहाँ गिरा था।
- ज्वालाजी / सिद्धिदा (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश) – माता की जीभ यहाँ गिरी थी।
- सुगंधा देवी (बांग्लादेश) – माता की नाक यहाँ गिरी थी।
- त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (त्रिपुरा) – माता का दाहिना पैर यहाँ गिरा था।
- देवी तालाब मंदिर (जालंधर, पंजाब) – माता का बायां स्तन यहाँ गिरा था।
- कात्यायनी / वृंदावन (उत्तर प्रदेश) – माता के बाल यहाँ गिरे थे।
- मिथिला शक्ति पीठ (दरभंगा, बिहार) – माता का कंधा यहाँ गिरा था।
- पंचसागर / वाराही (उत्तराखंड) – माता के दांत यहाँ गिरे थे।
- विमला / कीर्तेश्वरी (मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल) – माता का मुकुट यहाँ गिरा था।
- बिरजा मंदिर (ओडिशा) – माता की नाभि यहाँ गिरी थी।
- अम्बिका / विराट (भरतपुर, राजस्थान) – माता की उंगलियाँ यहाँ गिरी थीं।
- नर्मदा मंदिर / शोन शक्ति पीठ (मध्य प्रदेश) – माता का कूल्हा यहाँ गिरा था।