महानवमी का महत्व और पूजन विधि पवित्र है, महानवमी नवरात्रि का अंतिम और सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से शक्ति, ज्ञान और विजय का प्रतीक है। मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
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महानवमी के प्रमुख अनुष्ठान:
- कन्या पूजन: इस दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। इन्हें भोजन और उपहार दिए जाते हैं।
- हवन और यज्ञ: मां दुर्गा की आराधना के लिए विशेष यज्ञ और हवन किए जाते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और शांति स्थापित करने का प्रमुख साधन माना जाता है।
- दुर्गा अष्टमी और महानवमी का संगम: कई जगहों पर दुर्गा अष्टमी और महानवमी के बीच विशेष संधि पूजन किया जाता है, जिसमें महिषासुर के वध का नाटकीय रूपांतर देखा जाता है(YatraDham)(Webdunia)(Festivals of India)।
महानवमी की क्षेत्रीय परंपराएँ
- पश्चिम बंगाल में: दुर्गा पूजा के अंतिम दिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है।
- उत्तर भारत में: रामलीला और कन्या पूजन का आयोजन प्रमुखता से होता है।
- दक्षिण भारत में: इस दिन आयुध पूजा की जाती है, जिसमें लोग अपने उपकरणों, वाहनों और औजारों की पूजा करते हैं(YatraDham)(Webdunia)(Festivals of India)।
महानवमी का महत्व:
यह दिन न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महानवमी का महत्व और पूजन विधि हर राज्य में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन सभी का मुख्य उद्देश्य मां दुर्गा की आराधना और उनकी शक्ति को सम्मान देना है। Follow Roodr for Tech Global News.