गायत्री मंत्र की महिमा पर संस्कृत  श्लोक

sanskrit shlok on gayatri mantra
sanskrit shlok on gayatri mantra

शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र की महिमा

परिचय:

गायत्री मंत्र हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंत्र है। यह मंत्र सभी वेदों का सार माना जाता है। गायत्री मंत्र को “मंत्रों का मुकुटमणि” कहा जाता है। गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन शास्त्रों में विस्तार से किया गया है।

गायत्री मंत्र का स्वरूप:

गायत्री मंत्र निम्नलिखित है:

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

इस मंत्र का अर्थ है:

हे परमपिता परमात्मा, जो इस भूलोक, भुवर्लोक और स्वर्गलोक में व्याप्त हैं, जो सत्य और ज्ञान के प्रकाशस्वरूप हैं, उन पर हम ध्यान करते हैं। हे प्रभु, आप हमारी बुद्धि को सच्चे मार्ग पर प्रेरित करें।

गायत्री मंत्र की महिमा:

शास्त्रों के अनुसार, गायत्री मंत्र की महिमा अपार है। इस मंत्र के नियमित जप से साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • बुद्धि का विकास होता है।
  • ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • एकाग्रता बढ़ती है।
  • पापों का नाश होता है।
  • मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गायत्री मंत्र का जप कैसे करें?

गायत्री मंत्र का जप किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, सुबह के समय इसका जप करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। गायत्री मंत्र का जप करने के लिए सबसे पहले किसी स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं। फिर, हाथों में एक माला लें और मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र का उच्चारण करते समय अपनी आंखें बंद रखें और मन को एकाग्र करें।

निष्कर्ष:

गायत्री मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है। इसका नियमित जप करने से साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

गायत्री मंत्र सभी वेदों में निहित है। इसके जप से मनुष्य को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

मनुस्मृति में गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन इस प्रकार किया गया है:

गायत्री सर्वमंत्रस्याधिदेवता त्रिलोकेशः | सर्वकामप्रदः सर्वपापविनाशकः ||

अर्थ:

गायत्री मंत्र का अधिदेवता त्रिलोकेश (भगवान शिव) हैं। यह मंत्र सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला और सभी पापों को नष्ट करने वाला है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन इस प्रकार किया गया है:

गायत्रीं जपेन्मायाशक्तिं सर्वकामप्रदायिनीम् | सर्वपापविनाशिनीं सर्वशक्तिमताम् ||

अर्थ:

गायत्री मंत्र मायाशक्ति है, जो सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। यह मंत्र सभी पापों को नष्ट करने वाली और सभी शक्तियों को प्रदान करने वाली है।

इनके अलावा, अन्य कई शास्त्रों में भी गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है।

कुछ अन्य श्लोक:

  • भगवद्गीता (8.17):
सावित्री त्रिपदा गायत्री चतुर्पदा |
पंचपदा त्रिष्टुब् च सप्तपदा जागर्ति ||

अर्थ:

सावित्री तीन अक्षरों वाला, गायत्री चार अक्षरों वाला, पंचपदा पांच अक्षरों वाला और त्रिष्टुब् सात अक्षरों वाला जागर्ति मंत्र है।

  • शिव पुराण (1.2.33):

गायत्री त्रैलोक्यमोहिनी सर्वपापविनाशिनी | सर्वकामप्रदा देवी सर्वशक्तिमताम् ||

अर्थ:

गायत्री मंत्र त्रिलोकी को मोहित करने वाली, सभी पापों को नष्ट करने वाली, सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली और सभी शक्तियों को प्रदान करने वाली देवी है।

  • अथर्ववेद (10.8.2):
गायत्री महामंत्रः सर्वकामप्रदः |
सर्वपापविनाशकः सर्वशक्तिमताम् ||

अर्थ:

गायत्री महामंत्र सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला, सभी पापों को नष्ट करने वाला और सभी शक्तियों को प्रदान करने वाला है।

इन श्लोकों से स्पष्ट है कि गायत्री मंत्र की महिमा अपार है। इसका नियमित जप करने से साधक के जीवन में सभी प्रकार के सुख और समृद्धि आती है।

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