संस्कृत श्लोक अर्थ सहित-Sanskrit Verses With Meaning
Famous Hindi Quotes
इन लोगों का रास्ता न काटें, अपना मार्ग बदल लें
चक्रिणो दशमीस्थस्य रोगिणो भारिणः स्त्रियाः।
स्नातकस्य च राज्ञश्च पन्था देयो वरस्य च।।
रथ पर सवार आदमी, बुज़ुर्ग, बीमार, बोझ उठाए हुए व्यक्ति, महिला, स्नातक, दूल्हा। इन आठों को अपने सामने पाकर आगे जाने के लिए रास्ता दें और खुद या तो एक ओर हट जाएं या अपना मार्ग बदल लें।
“आत्मदोषैर्नियच्छन्ति सर्वे सुखदुखे जनाः”।
सब को अपने कर्मानुसार सुख्दुःख भुगतने पडते है।
“दुःखादुद्विजते जन्तुः सुखं सर्वाय रुच्यते”।
दुःख से मानव थक जाता है, सुख सबको भाता है।
न नित्यं लभते दुःखं न नित्यं लभते सुखम् ।
किसी को सदैव दुःख नहीं मिलता या सदैव सुख भी लाभ नहीं होता।
हान् भवत्यनिर्विण्णः सुखं चानन्त्यमश्नुते ।
सतत उद्योग करने वाला मानव ही महान बनता है और अक्षय सुख प्राप्त करता है।
“दुःखितस्य निशा कल्पः सुखितस्यैव च क्षणः”।
दुःखी मानव को रात्रि, ब्रह्मदेव के कल्प जितनी लंबी लगती है; लेकिन सुखी मानव को क्षण जितनी छोटी लगती है।
न वै सुखं प्राप्नुवन्तीह भिन्नाः।
कुसंप से मानव को सुख प्राप्त नहीं होता ।
लोभं हित्वा सुखी भवेत् ।
लोभ त्यागने से मानव सुखी बनता है ।
“सतां सद्भिः संगः कथमपि हि पुण्येन भवति” ।
सज्जन का सज्जन से सहवास बडे पुण्य से प्राप्त होता है।
“प्रारब्धमुत्तमजनाः न परित्यजन्ति”।
उत्तम लोग संकट आये तो भी शुरु किया हुआ काम नहीं छोडते।
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“संभवितस्य चाकीर्ति र्मरणादतिरिच्यते”।
संभावित मानव को अकीर्ति मरण से ज़ादा दुःखदायक होती है ।
“गतं न शोचन्ति महानुभावाः”।
सज्जन बीते हुए का शोक नहीं करते।
कश्चित् कस्यचिन्मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा॥
न कोई किसी का मित्र है और न शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं॥
पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यसि।
पुरुषार्थ बिना दैव सिद्ध नहीं होता।
यत्नवान् सुखमेधते।
प्रयत्नशील मानव सुख पाता है।
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