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वास्तविक वृद्ध कौन है? sanskrit shlok

Sanskrit Shlok on Age

Sanskrit shlok on age: Hindi Meaning वृद्धश्रोतव्यं खलु वृध्दानामिति शास्त्रनिदर्शनम् । वृद्धों की बात सुननी चाहिए एसा शास्त्रों का कथन है । वृद्धवृध्दा न ते ये न वदन्ति धर्मम् । जो धर्म की बात नहीं… Sanskrit Shlok on Age

वास्तविक वृद्ध कौन है? sanskrit shlok

Sanskrit Shlok on life

Sanskrit Shlok on life हे लक्ष्मण ! यह स्वर्णपुरी लंका मुझे अच्छी नहीं लगती । माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बडे होते है । यस्मिन् देशे न सन्मानो न प्रीति र्न च बान्धवाः ।न… Sanskrit Shlok on life

भक्ति पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

भक्ति पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

भक्ति पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम् ।अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥ श्रवण (उ.दा. परीक्षित), कीर्तन (शुकदेव), स्मरण (प्रह्लाद), पादसेवन (लक्ष्मी), अर्चन (पृथुराजा), वंदन (अक्रूर), दास्य (हनुमान), सख्य (अर्जुन), और आत्मनिवेदन… भक्ति पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

एकता पर संस्कृत श्लोक हिंदी में

एकता पर संस्कृत श्लोक हिंदी में

एकता पर संस्कृत श्लोक हिंदी में: बहवो न विरोध्दव्याः दुर्जयास्तेऽपि दुर्बलाः । स्फुरन्तमपि नागेन्द्रं भक्षयन्ति पिपीलिकाः ॥ अनेक लोगों का विरोध नहि करना चाहिए । वे दुर्बल हो तो भी दुर्जय बनते हैं । फडकते… एकता पर संस्कृत श्लोक हिंदी में

sanskrit shlok on abhaya in hindi

अभय पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

अभय पर संस्कृत श्लोक नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने । विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ॥ सिंह को जंगल का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई अभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार ।… अभय पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

विद्या पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

विद्या पर संस्कृत श्लोक With Hindi and English Meanings

विद्या पर संस्कृत श्लोक ( Sanskrit shlok on vidya) संयोजयति विद्यैव नीचगापि नरं सरित् । समुद्रमिव दुर्धर्षं नृपं भाग्यमतः परम् ॥ जैसे नीचे प्रवाह में बहेनेवाली नदी, नाव में बैठे हुए इन्सान को न पहुँच… विद्या पर संस्कृत श्लोक With Hindi and English Meanings

धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में तर्कविहीनो वैद्यः लक्षण हीनश्च पण्डितो लोके ।भावविहीनो धर्मो नूनं हस्यन्ते त्रीण्यपि ॥ तर्कविहीन वैद्य, लक्षणविहीन पंडित, और भावरहित धर्म – ये अवश्य हि जगत में हाँसीपात्र बनते हैं ।… धर्म पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

तपस्या पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में

तपस्या पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में: मनःप्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः ।भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते ॥ मन की प्रसन्नता, सौम्यभाव, मौन, आत्मचिंतन, मनोनिग्रह, भावों की शुद्धि – यह मन का तप कहलाता है । अनुद्वेगकरं वाक्यं मुद्रण ई-मेलअनुद्वेगकरं वाक्यं… तपस्या पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में